भारत अपने आजादी के 75वे वर्ष गांठ में प्रवेश कर रहा है. और जभी भारत की आजादी की वर्ष गांठ आती हैं तो पुर्र देश में बड़ी उत्साह जश्न और लगन से आजादी के पर्व मनाते हैं, तथा अपने देश के आजादी में जितने भी वीर, महापुरुष क्रन्तिकारी ,योद्धाओं ने अपनी त्याग बलिदान, औऱ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ,उन्हें हम याद करते हैं. परन्तु एक सच जो जो पिछले 70 सालों से या तो हमें बताया नही गया या हमसे झूठ बोल गया। वो सच हैं – देश के सबसे बड़े आजादी के नेता महात्मा गांधी देश के राष्ट्रपिता हैं, –
मोहनदास करमचंद गांधी भारत के राष्ट्रपिता नहीं है-
हमे बचपन से हमारे स्कूल , कॉलेज ,घर, परिवार, समाज में यह बताया जाता हैं कि महात्मा गांधी हमारे देश भारत के राष्टपिता है. और आप इस बात पर यकीन भी करते होंगे, क्योंकि यह स्वाभाविक भी है,हमे जो सिखाया तथा पढ़ाया गया हम वही कहेंगे ,बोलेंगे भी। लेकिन यह पूरी तरह असत्य हैं. जी हां आप कुछ पल के लिए शायद यकीन न करें, लेकिन यही सत्य है कि महात्मा गांधी इस देश के राष्ट्रपिता नही है। यह बात हम नही कह रहे बल्कि भारत सरकार औऱ भारतीय सविधान के अनुसार हमारे देश राष्ट्रपिता जैसा कोई पद आधिकारिक तौर पर अब तक घोषित नहीं हुई हैं।
महात्मा गांधी देश के फादर ऑफ द नेशन नहीं- ( RTI ) आरटीआई से हुआ खुलासा
मोहनदास करमचंद गांधी देश के फादर ऑफ द नेशन नहीं इस बात का खुलासा ( RTI )आरटीआई कार्यकता ऐश्वर्या पाराशर द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी भारत सरकार से हैं. जिसमें (RTI ) आरटीआई कार्यकता ऐश्वर्या पाराशर आरटीआई के तहत भारत सरकार से आवेदन कर यह सूचना मांगी, कि क्या महात्मा गांधी देश के फादर ऑफ द नेशन आधिकारिक तौर पर कब बनें। औऱ साथ में उन्होंने यह बात भी सवाल की महात्मा गांधी की जन्म दिन को 2 अक्टूबर राष्ट्रीय छूटी हैं।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा – ( RTI )आरटीआई का जवाब में भारत सरकार ने इस बात की लिखित तौर पर यह जानकारी दी है कि महात्मा गांधी आधिकारिक रूप से इस देश के father of the nation नहीं हैं. तथा गांधी जी का जन्मजयंती 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती भी राष्ट्रीय पर्व नहीं है। मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें हम सब बापू ,महात्मा , फादर ऑफ द नेशन औऱ कई नाम से जानते हैं, पढ़ते हैं, सुनते हैं .
लेकिन मोहनदास करमचंद गांधी का कोई भी उपनाम भारतीय सविधान के अनुसार आधिकारिक रूप से राष्ट्रपिता घोषित नही है. इस प्रश्न पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 2012 में ही एक RTI आरटीआई के जवाब यह कहा कि भारत सरकार ऐसी किसी भी पद या उपनाम को फादर ऑफ द नेशन का दर्जा देने की सिफारिश भारत के महामहिम राष्ट्रपति से नहीं कर सकती क्योंकि भारत के संविधान इसकी मान्यता नहीं देता.
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इस प्रश्न के जवाब में विस्तार से कहा कि भारतिय के संविधान के अनुच्छेद 18(1) का हवाला देते हुए कहा है. भारतीय सविधान सिर्फ शैक्षिक तथा सैन्य बल को छोड़कर अन्य किसी भी उपाधि को नहीं देता। जिससे यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है .
कि महात्मा गांधी को आधिकारिक रूप से इस देश के राष्ट्रपिता घोषित नहीं किया गया हैं. औऱ नही इस प्रकार की कोई उपाधि का कोई प्रवधान हैं .जिसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 2012 में ही ऐश्वर्या की सूचना की अर्जी भारतीय अभिलेखागार को स्थानांतरित कर दी थी।
लखनऊ निवासी ( RTI )आरटीआई कार्यकता ऐश्वर्या पाराशर द्वारा महात्मा गांधी के फादर ऑफ द नेशन औऱ जन्मजयंती आधिकारिक घोषणा पर किये गए ( RTI )आरटीआई सवाल पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जवाब वर्ष 2012 में ही दे दी गई थी।
लेकिन उसके 6 वर्ष बाद एक बार पुनः राजस्थान राज्य के जयपुर जिले के बंगरु सांगानेर के निवासी कजोड़ मल चौधरी औऱ श्री दिवाकर गर्ग द्वारा पूछे यही सवाल कि क्या महात्मा गांधी इस देश के आधिकारिक फादर ऑफ द नेशन हैं या नही।इस सवाल पर भारत सरकार ने पुनः वही बात की दोहराते हुए कहा गया कि महात्मा गांधी जी के बारे में ऐसा कोई भी नियम या अध्यादेश पारित नहीं किया गया है. जिसमें महात्मा गांधी जी को देश का Father of the Nation घोषित किया गया हो ।
महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्टपिता कब और किसने कहा-
हम सब मोहनदास करमचंद गांधी को को फादर ऑफ द नेशन कह कर पुकारते हैं लेकिन यह बात सब कोई नही जनता की आखिर इन्हें राष्ट्रपिता कब और किसने सर्वप्रथम कहा।महात्मा गांधी को फादर ऑफ द नेशन सर्वप्रथम नेताजी सुबाष चन्द्र बोस ने 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘फादर ऑफ द नेशन की उपाधि दी थी।
परन्तु यह बात सत्य है कि महात्मा गांधी जी औऱ नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के बीच राजनीतिक मतभेद जरूर था लेकिन सुभाष चंद्र बोस जी महात्मा गांधी को अपने दिल से मानते थे ।फर्क सिर्फ इतना ही था कि सुभाष चंद्र बोस गर्म दल के नेता थे,जो इस देश को अंग्रेजों के भाषा में ही इस देश को आजादी दिलाना चाहते थे.
थप्पड़ के बदले थप्पड़ मार कर। इसके लिए सुबाष चन्द्र बोस ने देश के बाहर आजाद हिंद फौज का भी गठन भी किया था और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में देश का पहला तिरंगा झंडा फहरा अपने आवाज को भी बुलन्द किया था। तो वहीं महात्मा गांधी इस देश को जन आंदोलन, अनशन, विरोध के जरिए इस देश को आजादी दिलाना चाहते थे।।
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