Hindi Poem on unemployment :- बेरोजगारी और रोजगार हमारे देश के लिए एक कभी न छूटने वाला घाव बनकर रह गया है. सरकार आती हैं. जाती हैं औऱ ढेर सारा नौकरी की वादा कर जाती हैं. लेकिन आखिर में होता हैं जो लग्न औऱ मेहनत से पढ़कर डिग्री लेता है .वो फ्रॉम ही भरता रह जाता या कभी आरक्षण का शिकार हो जाता तो कभी आवश्यकता से अधिक खर्च के कारण परीक्षा नही दे पाता।औऱ इनसब का मूल जड़ कहि न कही देश में बढ़ती भारी जनसंख्या, आरक्षण, सरकारी स्कूल कॉलेज में अच्छी पढ़ाई का न होना या नौकरी में हो रही भारी मात्रा में भ्र्ष्टाचार, फर्जीवाड़े, पेपर लीक होने जैसे आदि मूल समस्या है.तो आइये पढ़ते हैं पूरी कविता-
बेरोजगारी पर कविता Hindi Kavita on Berojgari Poem on unemployment
खुली कंधों पर थोड़ा सा भार वहन चाहिए
बेरोजगार हु साहब रोजगार नौकरी चाहिए
पॉकेट मे पैसे नही है,डिग्री लिए फिरता हूँ
दिनो दिन अपनी ही नजरो में गिरता हु
कामयाबी के राह में खुले आसमान चाहिए
बेरोजगार हु साहब रोजगार चाहिए।।
योग्यता की नही हैं कमी देश के सड़को पर
संसार बदल देंगे भरोसा करो इन लड़को पर
लिखते-लिखते मेरी कलम तक घिस गयी
जॉब कैसे मिले जब जॉब ही बिक गयी।
जॉब की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए
बेरोजगार हु साहब अब मुझे रोजगार चाहिए।।
दिन-रात एक करके परिश्रम बहुत करता हूँ
सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हु
भ्र्ष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं
रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे हैं
जॉब पाने के लिए यहां जुगाड़ चाहिए
बेरोजगार हु साहब मुझे रोजगार चाहिए।।
कवि होकर युवाओं की दर्द कहनी पड़ रही हैं
सरकार द्वारा किये वादों पर सवाल करने पड़ रहे हैं
राख हो रही हैं उन माँ-बाप के सब सपने
बड़ी कड़वी बे-रस मेरी यह बेरोजगारी कविता
युवाओं की यह पुकार सुनने होंगे,सुनने चाहिय
बेरोजगार हु साहब रोजगार चाहिए।।
2. रोजगार पर कविता Poem on employment in hindi
डिग्रियां टँगी दीवार सहारे
मेरिट का एतबार नही हैं
सजी है अर्थी नौकरियों का
देश मे अब रोजगार नही
शमशान हुय यहां बाजार सब
चौपट हुआ कारोबार सब
डॉलर पहुचा आसमान पर
रुपए हुए लाचार यहां सब
ग्राहक बिन व्यपार नही
देश मे अब रोजगार नही हैं
चाय से चीनी मीठा रूठ गयी हैं
दाल से भात अब छूट गई हैं
कमर हैं किसानों की टूटी
साहब खा रहे हैं मशरूम की सब्जी
खड़ी है फसल कोई खरीदार नही
देश मे अब रोजगार नही हैं
गैस सिलेंडर अब दुगुने हो गए
कल के हीरो आज गली में नमूने हो गए
मेकअप आर्टिस्ट हुआ अब महंगा
चांद सा मुखड़ा भी सुना हुआ
नारी है पर उसे सोलह श्रृंगार नही
देश मे अब रोजगार नही हैं
साधु संत व्यपारी हो गए
व्यापारी अब घन्टा धारी हो गए
चोर डाकू राजनेता बन गए
कैद में अब युवा छात्र हो गए
सरकार से अब कोई सरोकार नहीं
फिर भी युवा अभी लाचार नही
देश में अब रोजगार नही।।
By-ठाकुर आशुतोष सिंह “विक्की”
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Short Poem on unemployment in Hindi:- इसी पर हम अपने कविता के माध्यम से युवाओं को जागरूक करना चाहते हैं. तथा इस देश के सभी राज्य सरकार के आंख खोलने चाहते हैं। हम अपनी इस कविता के माध्यम से देश तथा राज्य के दोनों सरकार से अपील करना चाहते हैं .कि इस देश में हो रही भारी बेरोजगारी पर कोई हल करें।तथा युवाओं को उनकी योग्यता के आधार पर rojgar दी जाए।
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Conclusion:- बेरोजगारी ,रोजगार वँ जनसंख्या जैसी मूल समस्यओं पर हमारी हिंदी कविता आपको कैसा लगा, क्या यह Funny Poem on unemployment in Hindi आपके लिए पर्याप्त है. और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।
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